परिचय
पीएलआई योजना: देश मे मेक इन इंडिया मिशन के तहत कई नए स्टार्टअप्स और व्यवसाय शुरू किए जाते है। देश मे ही सभी चीजें अब बनाई जा रहिए है। इसी उद्योगो को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना ( प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम) की शुरुवात की गई है। इस योजना के तहत जितने भी मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप या बिज़नेस है उन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता (इन्सेन्टिव) प्रदान की जाती है।
यह इन्सेन्टिव कंपनी के बनाए उत्पादन के आधार पर दिया जाता है। तो चलिए, आज के इस पोस्ट में हम पीएलआई योजना के बारेमें विस्तार से जानेंगे, तो अंत तक बने रहे।
पीएलआई योजना क्या है?
पीएलआई योजना भारत सरकार द्वारा 2020 में शुरू की गई योजना है, जो देश मे मेक इन इंडिया के पृष्टभूमि पर ही बनाया गया है। इस योजना के माध्यम से देश के सभी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज़ को सरकार द्वारा सहायता की जाएगी और देश को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग बनाया जाएगा। इस बड़े उद्देश्य के साथ, योजना के माध्यम से सरकार नए और पुराने दोनों मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जो कंपनी के ग्रोथ और सेल्स पर डिपेंड करता है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य, देशभर में मेक इन इंडिया मिशन को बढ़ावा देना है, देश विदेश के निवेशकों को इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में निवेश करने हेतु आकर्षित करना, देशभर में नई इंडस्ट्रीज का निर्माण करना और रोजगार उत्पन्न करना।
पीएलआई योजना से मिलने वाले लाभ
पीएलआई योजना के माध्यम से कई तरह के लाभ आवेदकों को मिलते है, पर इसके अलावा पूरे देशभर की अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलता है।
पीएलआई योजना की लाभ सूची
1) देश के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा
पीएलआई योजना के माध्यम से देश मे ही प्रोडक्ट्स की मैन्यूफैक्चरिंग होगी, जिससे देश मे लगने वाली चीजें देश मे ही बनेगी, बाहर से इम्पोर्ट करने की आवश्यकता नही होगी। साथ ही लोकल मैन्युफैक्चरर को बढ़ावा मिलेगा।
2) देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा
उत्पाद और उत्पादन दोनों देश मे ही निर्माण होंगे, जिससे जो भी लाभ होगा वह देश मे ही रहेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। साथ ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को फॉरेन इन्वेस्टर्स की मदद से देश मे ही स्थापन करने का अवसर मिलने से कई तरह की फैक्टरी देश मे ही बनेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा।
3) विभिन्न तरह के रोजगार उत्पन्न होंगे
नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगने से देश मे ही नए रोजगार उत्पन्न होंगे। डायरेक्ट और इनडाइरेक्ट, दोनों तरह से कई रोजगार के अवसर मिलेंगे।
4) आत्मनिर्भर भारत बनेगा
जिन भी चीजों की आवश्यकता देश मे है, वह यहिपर बनने से विदेशी चीजों का इस्तेमाल कम होगा और कई तरह के टैक्स से बचा जा सकेगा। देश मे बनी चीजों के दाम कई गुना कम होंगे, जिससे सामान्य लोगो तक उत्पाद पहुच पाएंगे।
5) देश मे बनी चीजों का निर्यात बढ़ेगा
देश मे बनी चीजों को विदेशों में बहुत ज्यादा मांग होती है, ऐसे में निर्यात के अवसर उत्पन्न होंगे। मेक इन इंडिया के प्रोडक्ट्स का विदेशी मार्केट्स में निर्यात बढ़ेगा जिससे विदेशी मुद्रा यानी foreign exchange बढ़ता है।
6) मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में बदलाव होंगे
मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में छोटे और लोकल इंडस्ट्रीस को बढ़ावा मिलेगा और इसके अलावा अन्य क्षेत्रों को भी देश के विकास में सहयोग देने का अवसर मिलेगा। इसके माध्यम से देश और विदेशों में अलग अलग क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां होगी।
7) देश टेक्नोलॉजी में अग्रसर बन पाएगा
नए ने प्रोडक्ट्स का निर्माण करने से नई नई टेक्नोलॉजी का विकास होगा। देश मे नए टेक प्रोडक्ट्स बनने से, भारतीय कंपनियों को ग्लोबल मार्केट में प्रवेश करने का मौका मिलेगा। जो टेक्नोलॉजी में अग्रसर देश है, वहाँपर भी भारतीय उत्पादों की चर्चा होगी, जिससे टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भी देश आगे बढ़ पायेगा।
8) आर्थिक लाभ मिलेगा
उत्पादों का आयात बंद होने से, कई तरह के टैक्सेस जो उत्पादो पर लगते है वह कम हो जाएंगे, जिससे कई गुना आर्थिक लाभ मिलेगा, और इससे ट्रेड डेफिसिट भी घटता है। देश को ग्लोबल लेवल पर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने में भी सहायता मिलती है, और इससे देश की GDP में भी बेहद सुधार आता है।
9) पर्यावरण को लाभ होगा
मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में कई ऐसे उत्पाद है जिन्हें बनाने से पर्यावरण को अधिक लाभ होता है। जैसे कि सोलर पैनल बनाना और अन्य ऐसी उत्पादों का निर्माण करना, जो प्रदूषण ना करे और उसे रोकने में सहायता करें।
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